विपाक

पुद्गल(कुर्सी आदि) का विपाक प्राय: समय पर ही, कर्म का कभी भी जैसे आयु/ अकाल मृत्यु।

मुनि श्री अजितसागर जी

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4 Responses

  1. मुनि श्री अजितसागर महाराज जी ने विपाक को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।

  2. 1) ‘विपाक’ ka shaabdik arth kya hai ?
    2) ‘पुद्गल(कुर्सी आदि) का विपाक प्राय: समय पर ही ‘पुद्गल(कुर्सी आदि) का विपाक प्राय: समय पर ही’
    Iske examples kya hain ?
    3) पुद्गल ka Magar kya पुद्गल (‘Shareer’ ke context me) ka विपाक, karmon se nahi connected
    hai ?
    Upar waale points clarify karenge, please ?

    1. 1) पकना।
      2) लकड़ी की कुर्सी 10 साल चलेगी।
      3) पौद्गलिक कर्म।

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