विषय-भोग पीटते हैं (शरीर को)
और
लूटते भी हैं (आत्मा को) ।
मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
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यह कथन सत्य है….
जो लोग भोग विलास में लिप्त रहते हैं वह लोग आत्मा को अशुद्व बनाते रहते हैं। शरीर से भोग विलास का रस लेते रहते हैं जिसके कारण अपनी आत्मा का कल्याण नहीं कर सकते हैं। उचित होगा कि अपनी पाचों इन्दियों पर नियंत्रण करें तभी आत्मा को विशुद्व बना कर अपना कल्याण कर सकते हो।
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यह कथन सत्य है….
जो लोग भोग विलास में लिप्त रहते हैं वह लोग आत्मा को अशुद्व बनाते रहते हैं। शरीर से भोग विलास का रस लेते रहते हैं जिसके कारण अपनी आत्मा का कल्याण नहीं कर सकते हैं। उचित होगा कि अपनी पाचों इन्दियों पर नियंत्रण करें तभी आत्मा को विशुद्व बना कर अपना कल्याण कर सकते हो।