विसंवाद…. अन्यथा प्रवृत्ति कराना/ मिथ्यामार्ग पर लगा देना/ दुर्व्यवहार/ ग़लत को सही ठहराना जैसे अंडा शाकाहारी होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 6/22)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने विसंवाद को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने विसंवाद को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।