विस्रसोपचय

वर्गणाऐं जो कर्मरूप परिवर्तित होने को तैयार खड़ीं हैं, आत्मा में प्रवेश करने को तैयार खड़ीं हैं ।
जैसे मच्छरदानी में घुसने को मच्छर तैयार खड़े रहते हैं, जरा सी ढ़ील हुई – वे प्रवेश कर गये ।

चिंतन

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