वेग
बरसात आने से पहले बादलों के टुकड़े आ जाते हैं, बिजलियाँ कड़काते हैं, पर पानी नहीं बरसा पाते।
उनमें वेग तो होता है, उपयोगता/सघनता नहीं।
ऐसा वेग किस काम का !
चिंतन
(हिरन की प्रार्थना पर, शेर से उसके बच्चों को बचाने, बंदर एक पेड़ से दूसरे/ तीसरे पर तेजी से छलांग लगाता रहा।
हिरन…पर शेर तो बढ़ता ही जा रहा है ?
बंदर…मेरे efforts में तो कोई कमी नहीं है न !
….सौरभ – नोएडा)
One Response
वेग का तात्पर्य रफ्तार बढना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि जिनमें वेग होता है लेकिन उपयोगिता एवं सघनता नहीं तो वेग किसी काम नहीं है। अतः जीवन में उतनी रफ्तार या वेग रखना चाहिए ताकि हर जीव को उपयोगी होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।