वैयावृत्त्य
वैयावृत्त्य तीन प्रकार से की जा सकती है –
1. मानसिक – मन की,
सबसे महत्त्वपूर्ण सूत्र है।
2. वाचनिक – नम्रतापूर्ण और प्रियवचनों से दूसरों के रोग तक दूर हो जाते हैं।
3. शारीरिक – बेलन से जैसे हलके हाथ से रोटी बनाते हैं।
आहार के बाद और शाम को वैयावृत्त्य नहीं करना चाहिये।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
5 Responses
वैयावृत्य सभी गुणीजनों , आचार्य एवं सभी साधुओं के लिए किया जाता है।यह एक तप है, इससे कर्मों की निर्जरा होती है। उपरोक्त कथन सत्य है कि वैयावृति तीन प्रकार से की जा सकती है, इसमें मानसिक,वाचनिक एवं शारीरिक का ध्यान रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
“आहार के बाद और शाम को वैयावृत्त्य नहीं करना चाहिये ।” Iska reason kya hai?
भोजन के बाद आराम/ सामायिक की जाती। वैयावृत्त्य से तो blood circulation तेज होता है जो पाचन शक्ति को कमज़ोर करता है।
शाम को वैयावृत्त्य kyun नहीं करना चाहिये ?
शाम का समय सामयिक का होता है, उस समय वैयावृत्त्य करने से प्रमाद आयेगा।