वैराग्य
मुंबई की श्रीमति मोहनाबाई दोषी (75 वर्षीय) ट्रेन से बाहर जा रहीं थीं, स्टेशन पर उनकी आवाज बंद हो गई । बच्चे अस्पताल ले गये ।
आवाज वापस आने के बाद मोहना जी ने घर जाने से इंकार कर दिया और सीधे आचार्य श्री सुनीलसागर जी महाराज के पास पहुँच गईं । बच्चों के तमाम विरोध के बावजूद 16 फरवरी को आप दीक्षा लेकर साध्वी ( क्षुल्लिका श्री अभयमति माताजी ) बन गईं ।
जिनके मन में वैराग्य और अपने कल्याण की भावना होती है उन्हें ना घर वाले रोक पाते हैं और ना ही क्षीण शरीर ।
(श्रीमति दीपा – मुंबई)
2 Responses
This is very true.
A person who has Vairagya in his heart cannot be stopped by anyone.
We have great examples before us like that of Shri.Adinath bhagwan ji and Shri.Neminath bhagwan ji.
shulika Abhaymati mataji