3 प्रकार के व्यक्तित्व –
1. भगवान दौड़ायेगा तो दौडुंगा, जो फल देगा खा लूंगा – भाग्यवादी/एकांती।
2. मैं दौडुंगा, जीतुंगा भी – पुरुषार्थवादी/ एकांती।
3. मैं दौडुंगा, फल मेरे हाथ में नहीं – यथार्थवादी/ अनेकांती।
(एकता-पुणे)>
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9 Responses
व्यक्तित्व का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! इसमें तीसरा उदाहरण दिया गया है कि मैं दौडुंगा, फल हमारे हाथ में नहीं इसको यथार्थवादी एवं अनेकांती कहते हैं, जैन धर्म अनेकांती है , एकांती वाला धर्म किसी जीव का भला नहीं कर सकता है!
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व्यक्तित्व का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! इसमें तीसरा उदाहरण दिया गया है कि मैं दौडुंगा, फल हमारे हाथ में नहीं इसको यथार्थवादी एवं अनेकांती कहते हैं, जैन धर्म अनेकांती है , एकांती वाला धर्म किसी जीव का भला नहीं कर सकता है!
1) Ist option me ‘एकांती’ kaise hua ?
2) 3rd option ko ‘पुरुषार्थवादी’ bhi keh sakte hain, na?
3rd vaala व्यक्तित्व hi sahi me khush rah sakta hai. Beautiful post !
1) सिर्फ भाग्य पर विश्वास किया, पुरुषार्थ को छोड़ दिया तो एकांत ही हुआ न !
2) पुरुषार्थ तो कर रहा है पर “जीतुंगा ही” एकांत की प्रमुखता है।
1st doubt is clarified. 3rd option ko ‘पुरुषार्थवादी’ bhi keh sakte hain na ?
पुरुषार्थवादी यानी जो पुरुषार्थ पर ही विश्वास रखता हो जैसे दो नम्बर वाला जिसे एकांती भी कहा।
Okay.
Best option 3rd waala hai na ?
सही।
It is now clear to me.