यद्यपि सामान्य रूप से औदारिक, वैक्रियक व आहारक शरीरों का आहार वर्गणाओं से ही निर्माण कहा गया है।
पर वास्तव में तीनों की वर्गणायें अलग-अलग हैं।
तीन वर्गणाओं के अग्राह्य वर्गणाओं द्वारा व्यवधान नहीं होने से, उनकी एक प्रकार की वर्गणा मानी गयी है।
श्री धवला -14 (तत्वार्थ मंजूषा)–2/56
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वर्गणाएं का मतलब जिसके उदय से शरीर श्वेत आदि वर्ण की उत्पत्ति होती है, इसमें श्वेत,पील,रक्त,नीला और कृष्ण रंग होते हैं। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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वर्गणाएं का मतलब जिसके उदय से शरीर श्वेत आदि वर्ण की उत्पत्ति होती है, इसमें श्वेत,पील,रक्त,नीला और कृष्ण रंग होते हैं। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।