शरीर / आत्मा
शरीर देवालय है, आत्मा देव।
देव की पूजा/ साधना के लिये देवालय होता है।
पर प्रीति तो देव से ही,
देवालय से न प्रीति ना ही द्वेष।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
शरीर देवालय है, आत्मा देव।
देव की पूजा/ साधना के लिये देवालय होता है।
पर प्रीति तो देव से ही,
देवालय से न प्रीति ना ही द्वेष।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी ने शरीर एवं आत्मा की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए शुद्ध आत्मा की पहिचान करना परम आवश्यक है।