शरीर और आत्मा

बचपन, युवावस्था, वृद्धावस्था में शरीर अलग-अलग पर आत्मा एक।
यदि वृद्धावस्था को स्वीकार लिया तो जीवन में निराशा, यदि अपने को आत्मा मान लिया तो बचपन जैसी स्फूर्ति, युवावस्था वाला आनंद।

(स्व.श्री गिर्राज भाई)

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4 Responses

  1. शरीर और आत्मा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन का कल्याण करना है तो सबसे प़थम आत्मा को पहिचाना परम आवश्यक है।

  2. वृद्धावस्था को स्वीकार लिया yaani apne ko shareer maana,
    right ?

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