शिक्षा
लौकिक शिक्षा का अंत नहीं,
धार्मिक शिक्षा से बहुत कम में बहुत काम हो जाता है; इसे रटना नहीं पड़ता, सिर्फ समझना होता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
लौकिक शिक्षा का अंत नहीं,
धार्मिक शिक्षा से बहुत कम में बहुत काम हो जाता है; इसे रटना नहीं पड़ता, सिर्फ समझना होता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि लौकिक शिक्षा का अंत नहीं है, इससे जीवन में धर्म के संस्कार नहीं मिल पाते हैं एवं भविष्य में याद नहीं रहता है। धार्मिक शिक्षा में बहुत कम समय में बहुत काम हो जाता है,इसे रटना नहीं पड़ेगा, बल्कि समझना ही होगा। अतः धार्मिक शिक्षा से जीवन में धर्म के प्रति आस्था एवं संस्कार प्राप्त हो सकते हैं,इसी से जीवन का कल्याण हो सकता है।