शुभराग और शुभोपयोग
शुभराग और शुभोपयोग में अंतर ?
और इनके स्वामी ?
शुभराग :- निरतिषय मिथ्यादृष्टि के, जिससे पुण्य बंध हैं, संवर निर्जरा नहीं होती ।
शुभोपयोग :- उपशम सम्यक्त्व के सम्मुख तथा सम्यग्दृष्टि के होता है ।
द्रव्यानुयोग की अपेक्षा 4 से 6 गुणस्थान तक,
करणानुयोग की अपेक्षा 4 से 10 गुणस्थान तक ।
बंध कम (जितने अंशों में राग), संवर निर्जरा अधिक ।
बंध भी मोक्ष में साधन (जैसे तीर्थंकर प्रकृति) ।