श्रद्धा

श्रद्धा के दो भेद –
1. भावानात्मक झुकाव – संसार व परमार्थ दोनों में ।
2. प्रकट रूप को आदर्श मान हृदय में स्थापित, जिसे जीवन की डोर सोंप दें, प्राय: परमार्थ में ।

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One Response

  1. यह कथन सही है कि श्रद्वा के दो भेद होते हैं।एक भावानात्मक झुकाव जो संसार व परमार्थ दोनो में होते हैं।परमार्थ में श्रद्वा तभी होती है जब हृदय से उनके गुणो को आत्मसात करने का प़यास करना चाहिए।आत्मसात का अभिप़ाय कि जीवन की ड़ोर उनके हाथ में सोंप देना यानी उनके द्वारा दिये उपदेशो का पालन करना।

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