श्रमण

श्रमण…
शरीर की अपेक्षा वस्तु हैं,
श्रमणता की अपेक्षा तत्त्व,
जीव की अपेक्षा पदार्थ।

कुछ श्रमण इतने ऊँचे उठ जाते हैं कि श्रमण-संस्कृति का निर्माण कर जाते हैं, फिर वह संस्कार बन जाते हैं।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. श्रमण का तात्पर्य जो 28 मूल गुणों का पालन करते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि श्रमण शरीर की अपेक्षा वस्तु है ,श्रमणता की अपेक्षा तत्व, इसके अलावा जीव की अपेक्षा पदार्थ। कुछ श्रमण इतने ऊंचे उठ सकते हैं कि श्रमण संस्कृति का निर्माण कर जाते हैं फिर वह संस्कार बन जाते हैं।

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