अच्छी याददाश्त तथा शुभ-कर्मबंध संक्लेष के अभाव में होता है।
याददाश्त के लिये ज्ञानावरण का क्षयोपशम भी जरूरी रहता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने संक्लेश एवं ज्ञानावरण का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए संक्लेश का आधार नहीं लेना चाहिए।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने संक्लेश एवं ज्ञानावरण का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए संक्लेश का आधार नहीं लेना चाहिए।
‘अच्छी याददाश्त’ aur “शुभ-कर्मबंध’ me kya correlation hai ?
वैसे तो दोनों संक्लेष के अभाव में पर अच्छी याददाश्त ज्ञानावरण के क्षयोपशम से भी जो शुभ-कर्मबंध से होता है।
Okay.