संयम जीवन है (इसमें मरण करके कोई नहीं जाता), असंयम ही मरण है ।
आ. श्री विद्यासागर जी
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संयम में व़त व समिति का पालन करना, मन, वचन काय की अशुभ प़वित्ति का त्याग करना तथा इन्दियों को वश में रखना होता है।अतः संयम जीवन है एवं असंयम ही मरण होता है।
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संयम में व़त व समिति का पालन करना, मन, वचन काय की अशुभ प़वित्ति का त्याग करना तथा इन्दियों को वश में रखना होता है।अतः संयम जीवन है एवं असंयम ही मरण होता है।