संसार / परमार्थ
जब तक संसार में हो – भोगो मत पर भागो भी मत, भाग लो – Adjust करके।
जो संसार में Adjust नहीं कर पाते, वे परमार्थ में भी स्थिर नहीं रह पाते हैं।
मुनि श्री सुधासागर जी
जब तक संसार में हो – भोगो मत पर भागो भी मत, भाग लो – Adjust करके।
जो संसार में Adjust नहीं कर पाते, वे परमार्थ में भी स्थिर नहीं रह पाते हैं।
मुनि श्री सुधासागर जी
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परम का तात्पर्य मोक्ष है, अथवा जिसका प़योजन मोक्ष है। संसार का मतलब आवागमन करने को कहते हैं,यह चार गतियों में विचरण होता रहता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जब तक संसार में हो, भोगो नहीं एवं भागो भी मत,भाग लो एडजस्ट करके। अतः जो संसार में एडजस्ट नहीं कर पाते हैं वे परमार्थ में स्थिर नहीं रह सकते हैं। अतः जीवन में मोक्ष के लिए पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है, एवं संसार का मोह छोडना आवश्यक है।