संस्कृति

संस्कृति वह है जो संस्कारित करे ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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One Response

  1. कामनाओं का कलश ऊपर से सोने सा दमकता है,
    सुराख़ उसमें कहीं नीचे पैंदी में होता है |
    तभी तो चाहे उसे कोई कितना भी भरे,
    वह सदा अतृप्त रहता है |

    – गुरूवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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