सपना

दिन का हो या रात का, सपना सपना होय;
सपना अपना सा लगे, किन्तु न अपना होय।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

दिन के सपने मोह की नींद से,
रात के सपने शरीर की नींद से आते हैं।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन है कि सपना दिन का हो,या रात का हो,यह सपना अपना सा लगता है, किन्तु अपना नहीं होता है। दिन में मोह का सपना, रात शरीर की नींद से सपने आते हैं। अतः उक्त सपनों को कभी सच नहीं मानना चाहिए ताकि जीवन में कभी परेशानी नहीं होगी। सपनों की जगह अपना लक्ष्य रख कर आगे बढ़ना चाहिए ताकि जीवन में परिणाम मिल सकता है।

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