समवसरण में मुनि

समवसरण में जो अवधि, मन:पर्यय, केवल-ज्ञानियों की संख्या बतायी है वह उनके पूरे तीर्थंकर अवस्था में, भगवान के सामीप्य में अवधिज्ञानादि हुआ था/उनके शिष्य के रूप में, वह है ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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One Response

  1. समवशरण- – तीर्थंकर की धर्म सभा को कहते हैं। जहां समस्त स्त्री पुरुष, पशु पक्षी और देवी-देवता समान भाव से भगवान् का उपदेश सुनते हैं अथवा सभी भव्य जीव तीर्थंकर की दिवध्वनि के अवसर की प्रतीक्षा करते हैं वह समवशरण है। अवधिज्ञान- – जो द़व्य,क्षेत्र,काल आदि की सीमा में रहकर रुपी पदार्थों को प़त्यक्ष जानता है वह अवधि ज्ञान है।
    अतः उक्त कथन सत्य है कि समवशरण में अवधि/ मन:पर्यय, केवल ज्ञानयों की संख्या बताई गई है वह उनके पूरे तीर्थंकर अवस्था में भगवान के समीप्य में अवधि ज्ञान हुआ था उनके शिष्य के रूप में वह समवशरण में मुनि के रूप में थे।

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