सम्बंध

प्राय: बेटे की कामना करते हैं पर केरल में बेटी की (गाय/भैंस के बछ्ड़ी की)
वास्तविकता यह है कि न हमको बेटे से मतलब है न बेटी से, हमें अपने स्वार्थ से मतलब है, बुढ़ापे में हमारी देखभाल जो करे, वह हमें प्रिय है।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. जीवन में सम्बंध आत्मीयता प़ूर्वक होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
    अतः जीवन में पुत्र हो या बेटी उसमें भेदभाव नहीं करना चाहिए। अतः ऐसा करते हैं वह स्वार्थी होते हैं। अतः यह सोचना चाहिए कि बुढ़ापे में सेवा कर सकता हैं। अतः जो देख भाल करें वही जीवन में प़िय लगता है। जीवन में सम्बंध दूध और पानी के समान होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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