सम्मान पहले, पद का नाम बाद में।
जैसे “णमो अरहंताणं” तथा “नमोस्तु महाराजी”।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि सम्मान पहिले, पद का नाम बाद में! जैसे णमो अरिहंताणम् तथा नमोस्तु महाराज जी में ! अतः जीवन में पद के सम्मान का विचार नहीं करना चाहिए, लेकिन जीवन में किसी का अपमान नहीं करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि सम्मान पहिले, पद का नाम बाद में! जैसे णमो अरिहंताणम् तथा नमोस्तु महाराज जी में ! अतः जीवन में पद के सम्मान का विचार नहीं करना चाहिए, लेकिन जीवन में किसी का अपमान नहीं करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!