सम्यग्दर्शन
आत्मा तो दिखती नहीं सो आत्मानुभव से सम्यग्दर्शन नहीं कहा।
पुदगल दिखता है सो सही/ गलत पुदगल को वैसा का वैसा (सही को सही, गलत को गलत) मानो, जैसे काले बाल सफेद होना स्वाभाविक, उन्हें काले रंग लेना अस्वाभाविक।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा– 561)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में सम्यग्दर्शन के लिए देव, शास्त्रों एवं गुरुओं पर श्रद्वान करना परम आवश्यक है।
That means ‘पुदगल’ se ‘सम्यग्दर्शन’ hona sambhav hai?
7 तत्वों में से किसी के भी सच्चे स्वरूप पर पक्की श्रद्धा करने से स.दर्शन हो सकता है ।
To phir आत्मानुभव (‘जीव’) से सम्यग्दर्शन kyun नहीं कहा? Ise clarify karenge, please ?
जो दिखता नहीं, उस पर 100% विश्वास होना बहुत मुश्किल है।
इसीलिए गृहस्थों को अरहंतों की पूजा करने को कहा है, मुनिराजों को सिद्धों की।
Okay.