सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन के लिये →
1. सगारो यानी साकार उपयोग (जो साकार को ग्रहण करे = ज्ञानोपयोग)।
2. जागरुक (5 निद्राओं में निद्रा-निद्रा, प्रचला-प्रचला, स्त्यानगृद्धि अजागरुक)।
निद्रा, प्रचला का उदय तो हर समय होता रहता है, सोते/ बोलते/ खाते/ ध्यान लगाते समय भी।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड: गाथा– 652)
8 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए सम्यग्दर्शन को प़ाप्त करना परम आवश्यक है।
‘प्रचला’ ka kya meaning hai, please ?
निद्रा से ज्यादा प्रबल, जिसमें लार टपकने लगती है।
Jaise ”साकार उपयोग” ki baat kahi, “निराकार उपयोग” bhi hota hai kya aur agar hai, to uska example denge, please ?
यहाँ साकार का मतलब साकार-उपयोग है। इसलिए निराकार यहां पर एप्लीकेबल नहीं होगा।
दर्शनोपयोग निराकार उपयोग है।
Yahan par na sahi, magar kahin aur ‘निराकार उपयोग’ applicable hoga ? Ise clarify karenge, please ?
Okay.