आजकल बड़ी साधना नहीं कर सकते, तो नासा दृष्टि रखने की कर सकते हैं, इससे पर-पदार्थ से रागद्वेष कम होगा;
मौन से परिचय तथा मन की चंचलता कम होगी।
नेत्र एवं जिव्हा इन्द्रिय को संयत करना बहुत बड़ी साधना है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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साधना का तात्पर्य वह साध्य है कि श्रावक को जीवन के अंत में शरीर,आहार आदि से ममत्व छोड़कर आत्म शुद्धि के लिए समाधिमरण के लिए साधना करना है। अतः साधना के लिए जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। आत्म शुद्धि के लिए साधना करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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साधना का तात्पर्य वह साध्य है कि श्रावक को जीवन के अंत में शरीर,आहार आदि से ममत्व छोड़कर आत्म शुद्धि के लिए समाधिमरण के लिए साधना करना है। अतः साधना के लिए जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। आत्म शुद्धि के लिए साधना करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।