रोजाना दिन में 3-3 बार एक सी बातों को दोहराना, क्योंकि राग ज्यादा है । पर पर्याय को विषय न बनायें क्योंकि पर्याय तो अस्थिर होतीं हैं, सो द्रव्य को विषय बनायें जो स्थिर होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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सामायिक का तात्पर्य समता भाव रखना होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि अन्य बातों को दोहराने से राग प़कट होता है। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। सामायिक श्रावकों एवं साधुओं के लिए परम आवश्यक है। साधु दिन भर समता में ही रहते हैं लेकिन श्रावक को भी दिन में दो बार अवश्य करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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सामायिक का तात्पर्य समता भाव रखना होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि अन्य बातों को दोहराने से राग प़कट होता है। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। सामायिक श्रावकों एवं साधुओं के लिए परम आवश्यक है। साधु दिन भर समता में ही रहते हैं लेकिन श्रावक को भी दिन में दो बार अवश्य करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।