सिद्ध भगवान की भक्ति से सम्यग्दर्शन होने की संभावना अधिक होती है ।
(क्योंकि अपना वास्तविक स्वरूप दिखता है/उस पर विश्वास होता है – ज्ञानशाला)
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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भक्ति—अर्हंत आदि के गुणों में अनुराग रखना भक्ति है।
यह कथन सत्य है कि सिद्व भगवान् की भक्ति से सम्यग्दर्शन होने की संभावना अधिक होती है। क्योंकि अपना वास्तविक स्वरूप दिखता है और उस पर विश्वास होता है।
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भक्ति—अर्हंत आदि के गुणों में अनुराग रखना भक्ति है।
यह कथन सत्य है कि सिद्व भगवान् की भक्ति से सम्यग्दर्शन होने की संभावना अधिक होती है। क्योंकि अपना वास्तविक स्वरूप दिखता है और उस पर विश्वास होता है।