सुख
थोड़े से, क्षणिक सांसारिक सुख के बदले में अनंत/शास्वत आत्मिक सुख को छोड़े/भूले हुये हैं ।
ऐसा ही है जैसे मंज़िल के रास्ते में थोड़ी सी पेड़ की छांव के लिये मंज़िल पहुँचने का इरादा भूल गये हैं ।
चिल्लर के चक्कर में खजाना छोड़ रहे हैं ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी