कैंसर पीड़ित की सेवा करना अच्छी बात;
कैंसर ना होने देना – धर्म, सबसे अच्छी बात ।
दोनों एक दूसरे के पूरक ।
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धर्म- -सम्यग्दर्शन,सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र पर श्रदान करना ही धर्म है।यह भी दो प्रकार के होते हैं व्यवहार धर्म और निश्चय धर्म। यानी धर्म से परिणामों में निर्मलता,समता,वीतरागता आदि प़कट होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि कैंसर पीड़ित की सेवा करना अच्छी बात है लेकिन धर्म का पालन करने पर कोशिश हो जाती है कि उसको कैंसर नहीं हो, इसलिए धर्म सबसे अच्छी बात है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
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धर्म- -सम्यग्दर्शन,सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र पर श्रदान करना ही धर्म है।यह भी दो प्रकार के होते हैं व्यवहार धर्म और निश्चय धर्म। यानी धर्म से परिणामों में निर्मलता,समता,वीतरागता आदि प़कट होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि कैंसर पीड़ित की सेवा करना अच्छी बात है लेकिन धर्म का पालन करने पर कोशिश हो जाती है कि उसको कैंसर नहीं हो, इसलिए धर्म सबसे अच्छी बात है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।