सोच
अपना सोचा,
ना हो, अफसोस है*,
फिर भी सोचो**।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(* होगा वही जो भाग्य में लिखा है।
** क्योंकि पुरुषार्थ करना ही है)
अपना सोचा,
ना हो, अफसोस है*,
फिर भी सोचो**।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(* होगा वही जो भाग्य में लिखा है।
** क्योंकि पुरुषार्थ करना ही है)
One Response
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने सोच का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अपने कर्म करते हुए सोचना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।