बाहुबली : मेरा-मेरा, तेरा-तेरा ।
भरत : मेरा-मेरा, तेरा भी मेरा ।
वैराग्य के बाद : जो तेरा सो तेरा, जो मेरा वह भी तेरा ।
केवल ज्ञान के बाद : ना मेरा, ना तेरा, दुनियाँ रैन बसेरा।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि बाहुबली एवं भरत जी के सोच में बहुत अंतर था, क्योंकि बाहुबली जी उस समय की सोच मेरा मेरा,तेरा तेरा था लेकिन भरत जी की सोच कि मेरा मेरा,तेरा भी मेरा। अतः जब बैराग्य के भाव हुए थे,तब जो तेरा सो तेरा,जो मेरा वह भी तेरा। अतः केवल ज्ञान के बाद ना मेरा,न तेरा। अतः जीवन में मेरा कुछ भी नहीं है, सिर्फ आत्मा है, अतः अपने आत्म हित की सोच रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि बाहुबली एवं भरत जी के सोच में बहुत अंतर था, क्योंकि बाहुबली जी उस समय की सोच मेरा मेरा,तेरा तेरा था लेकिन भरत जी की सोच कि मेरा मेरा,तेरा भी मेरा। अतः जब बैराग्य के भाव हुए थे,तब जो तेरा सो तेरा,जो मेरा वह भी तेरा। अतः केवल ज्ञान के बाद ना मेरा,न तेरा। अतः जीवन में मेरा कुछ भी नहीं है, सिर्फ आत्मा है, अतः अपने आत्म हित की सोच रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
Bahut hi sundar shabdon me sab ke arth samjha diye !!