श्री कुरलकाव्य के अनुसार – मनुष्य का स्वभाव उसके मन में नहीं रहता बल्कि संगति से बनता है ।
जैसे बुद्धुओं के साथ रहोगे तो बुद्धु बनोगे ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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जीवन में हर जीव का स्वभाव अलग-अलग होता है,जिसका प्रभाव भी अलग-अलग होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य का स्वभाव उसके मन में नहीं रहता है, बल्कि संगति से रहता है। जैसे बुद्वुऔ के साथ रहने पर बुद्वु बनोगे।
अतः जीवन में संगति अच्छे मनुष्य या गुरुओं के साथ रहने पर ही अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।
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जीवन में हर जीव का स्वभाव अलग-अलग होता है,जिसका प्रभाव भी अलग-अलग होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य का स्वभाव उसके मन में नहीं रहता है, बल्कि संगति से रहता है। जैसे बुद्वुऔ के साथ रहने पर बुद्वु बनोगे।
अतः जीवन में संगति अच्छे मनुष्य या गुरुओं के साथ रहने पर ही अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।