स्वर्ग/नरक हैं भी या नहीं ?
हैं तो, क्यों ? सुख/दुःख तो हम यहाँ ही भोग रहे हैं ?
संसार के उत्कृष्ट सुख/दु:ख से भी अधिक सुख/दु:ख हो सकते हैं ना !
उसे भोगने जहाँ जाना होगा, वही स्वर्ग/नरक हैं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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स्वर्ग का मतलब उध्रर्वलोक में रहने वाले वैमानिक देवों के निवास को कहते हैं, जबकि नर्क का मतलब पापी जीवों को अत्यंत दुःख प्राप्त कराने वाले होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि स्वर्ग नरक हैं भी या नहीं लेकिन हैं तो क्यों इसका मुख्य कारण कि सुख दुःख तो हम यहां भी भोग रहे हैं। अतः संसार के उत्कृष्ट सुख दुःख से भी अधिक सुख दुःख हो सकतें हैं ना यानी उसे भोगने जहां जाना होगा, वहीं स्वर्ग नरक होता हैं। अतः वर्तमान में जीवन में पापों के कार्यों से बचना आवश्यक है इसलिए जीवन में धर्म को आत्मसात् करने पर ही पापों के कार्यों से बच सकते हैं।
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स्वर्ग का मतलब उध्रर्वलोक में रहने वाले वैमानिक देवों के निवास को कहते हैं, जबकि नर्क का मतलब पापी जीवों को अत्यंत दुःख प्राप्त कराने वाले होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि स्वर्ग नरक हैं भी या नहीं लेकिन हैं तो क्यों इसका मुख्य कारण कि सुख दुःख तो हम यहां भी भोग रहे हैं। अतः संसार के उत्कृष्ट सुख दुःख से भी अधिक सुख दुःख हो सकतें हैं ना यानी उसे भोगने जहां जाना होगा, वहीं स्वर्ग नरक होता हैं। अतः वर्तमान में जीवन में पापों के कार्यों से बचना आवश्यक है इसलिए जीवन में धर्म को आत्मसात् करने पर ही पापों के कार्यों से बच सकते हैं।