स्वाध्याय
एक आचार्य-प्रणीत ग्रंथ का स्वाध्याय हमेशा चलना चाहिये, क्योंकि इस प्रकार के ग्रंथों से वैराग्य और संवेग बना रहता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
एक आचार्य-प्रणीत ग्रंथ का स्वाध्याय हमेशा चलना चाहिये, क्योंकि इस प्रकार के ग्रंथों से वैराग्य और संवेग बना रहता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि एक आचार्य प़णीत ग़थ का स्वाध्याय हमेशा करना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के ग़ंथो से वैराग्य और संवेग बना रहता है।