स्वाध्याय
स्वाध्याय के काल में ज्ञानावरणादि का तीव्र अनुभाग, संक्रमण/अपकर्षण करके मंद हो जाता है, तथा प्रतिसमय असंख्यात गुणी निर्जरा होती है तथा पुण्य का तीव्र अनुभाग होता है ।
व्यक्तित्व कृतित्व – 639
स्वाध्याय के काल में ज्ञानावरणादि का तीव्र अनुभाग, संक्रमण/अपकर्षण करके मंद हो जाता है, तथा प्रतिसमय असंख्यात गुणी निर्जरा होती है तथा पुण्य का तीव्र अनुभाग होता है ।
व्यक्तित्व कृतित्व – 639