स्वाभिमान / अभिमान
स्वाभिमान से विनम्रता बढ़ती है, अभिमान में घटती है ।
स्वाभिमान में दोनों हाथ पीछे से आगे लाना है (पीछे वालों को साथ लेकर चलना), अभिमान में आगे से पीछे (सबको पीछे करके आगे बढ़ना) ।
मुनि श्री सुधासागर जी
स्वाभिमान से विनम्रता बढ़ती है, अभिमान में घटती है ।
स्वाभिमान में दोनों हाथ पीछे से आगे लाना है (पीछे वालों को साथ लेकर चलना), अभिमान में आगे से पीछे (सबको पीछे करके आगे बढ़ना) ।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
यह कथन बिलकुल सत्य है कि स्वाभिमान में विनम़ता बढती है, जब कि अभिमान में घटती है ।अतः विनम़ व्यक्ति सबको दोनो हाथ पकड़ कर आगे ले जाने का प़यास करता है, जबकि अभिमानी व्यक्ति स्वयं आगे चलता है एवं दूसरो को पीछे रखने का भाव रहता है।
अतः जीवन के कल्याण के लिये अहंकार को त्यागना आवश्यक है।