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हित चाहने वाला पराया भी अपना है
और
अहित करने वाला अपना भी पराया है !
रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है
और
औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है ।
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(अनुपम चौधरी)
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उक्त कथन सत्य है कि हित चाहने वाला पराया भी अपना हो जाता हैं और अहित करने वाला भी अपना पराया हो जाता है। अतः जीवन में किसी का भी अहित नहीं करना चाहिए । हित करने वाले का सम्मान करना चाहिए।
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उक्त कथन सत्य है कि हित चाहने वाला पराया भी अपना हो जाता हैं और अहित करने वाला भी अपना पराया हो जाता है। अतः जीवन में किसी का भी अहित नहीं करना चाहिए । हित करने वाले का सम्मान करना चाहिए।