‘ही’ से ‘भी’ की ओर, ही बढ़ें सभी हम लोग।
‘६’ के आगे ‘३’ हों, विश्वशांति की ओर।।
(‘ही’ ‘३६’, ‘भी’ ‘६३’)
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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6 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि ही यानी स्वयं पर नहीं बल्कि भी यानी दूसरों के कल्याण के लिए भी सोचना आवश्यक है। अतः अपनी शान्ति के साथ विश्वशांति की सोचना चाहिए। इसलिए सिर्फ 6 पर नहीं टिकना चाहिए बल्कि आगे 3 जोडना ताकि 63 बन सकता है।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि ही यानी स्वयं पर नहीं बल्कि भी यानी दूसरों के कल्याण के लिए भी सोचना आवश्यक है। अतः अपनी शान्ति के साथ विश्वशांति की सोचना चाहिए। इसलिए सिर्फ 6 पर नहीं टिकना चाहिए बल्कि आगे 3 जोडना ताकि 63 बन सकता है।
मुझे ६/३ वाला समज नहीं आया पप्लीज़ डीटेल से समजाए
६ और ३ जब एक दूसरे की ओर मुंह करके रहेंगे(६३) तभी शांति रहेगी न !
जब पीठ करके(३६) बैठेंगे तो अशांति।
Acharya shri ne bahut hu saral shabdon me “anekantwaad” ke maayne samjha diye !!
शुक्रिया🙏
Aapki explanation ne meaning ko aur clear kar diya.Dhanyawaad !