ज़ुम्मेदारी
गाली सामने वाले ने दी, नरक द्वीपायन मुनि गये।
कारण ?
सामने वाले ने गुस्सा कहाँ किया था !
गाली तो पौदगलिक थी, मुनिराज ने परिणामों को ख़राब क्यों कर लिया ?
इस तर्क/सिद्धांत को मानने से समता/शांत परिणाम रहते हैं।
गलती करने वाले को संसारी थप्पड़ मारता है, साधु खुद को।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
जिम्मेदारी महत्वपूर्ण स्थान रखता है, चाहे लौकिक या पारमार्थिक क्षेत्र हो। जीवन में हर प्राणी को पापों से निवृत्त होना चाहिए। श्रावक को गाली देना या अहंकार से बचना चाहिए क्योंकि यह सब पापों की श्रेणी में आता है,इसका परिणाम इस काल में एवं अगले भव में भी भुगतना पड़ता है। अतः जीवन में गुरुओं पर श्रद्वान रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।