अंतराय

वैसे तो अंतराय शुभ-क्रियाओं के रोकने पर बंधता है,
पर अशुभ के रोकने पर भी मान लिया जाय तो भी फायदा ही है क्योंकि भविष्य में आपको वे अशुभ चीजें नहीं मिलेंगी ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. अंतराय-त्यागी वृती और साधुजनों के आहार में नख,केश, चींटी आदि किसी कारण से बाधा उत्पन्न होना कहलाता है । अतः शुभ क़ियाओ को रोकने पर कर्म बंधते हैं लेकिन अशुभ को रोकने से भी फायदा होता है क्योंकि भविष्य में अशुभ चीजें नहीं मिलती हैं।

  2. That means, “Antraay” ka prayog, donon “Shubh” aur “Ashubh” ke liye kiya ja sakta hai?

    1. आगमानुसार अंतराय शुभ कार्यों में अवरोध को ही कहते हैं,
      पर अशुभ को भी लेलें तो भी फायदा ही है।

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