आँखें आँखों से ना मिलें, तो भीतरी आँखें खुलती हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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2 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने अंतरदृष्टि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अंतरदृष्टि की ओर ही ध्यान रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने अंतरदृष्टि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अंतरदृष्टि की ओर ही ध्यान रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
आंख मिलाई आंख से,
बस गया ये संसार।
अपने अंदर झांकिए,
होगा सब उद्धार।।