अंधकार
9वें अरुणद्वीप से घना अंधकार (जिसे हज़ारों सूर्य भी नहीं छेद सकते हैं। वयलाकार Shape में ब्रम्हलोक के सबसे ऊपर के अरिष्ट विमान तक उठता है (इसलिए शायद ये Isolated रहता है)।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – अध्याय 4)
(अनेकांत दृष्टि से => अंधकार भी प्रकाश को भगा सकता है… चिंतन)
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने अंधकार को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य को। अतः जीवन के कल्याण के लिए अनेकान्तवाद दृष्टिकोण अपनाना परम आवश्यक है।