अकाल मरण

पंड़ित जी – निश्चयनय से तो अकाल मरण होता ही नहीं है ।

आचार्य श्री – निश्चयनय से तो मरण ही नहीं होता है, अकाल मरण न मानने पर दया धर्म और चिकित्साशास्त्र व्यर्थ हो जायेंगे ।

तत्व निर्णय – 59 (तत्वार्थ वृति)

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