भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय देखते थे, हम सूरज की ओर नज़र भी नहीं उठा सकते।
कारण ?
उनके अखंड देवदर्शन का नियम था। ६ खंडों की विजय यात्रा में भी अपने साथ जिन प्रतिमा लेकर गये थे।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने अखंड संकल्पका उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए परमार्थ क्षेत्र में संकल्प लेकर चलना परम आवश्यक है।
1) ‘अखंड देवदर्शन’ ka kya meaning hai, please ?
2) Niyam ki mahima ke wajah se भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय dekh pate the? Ise clarify karenge, please ?
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने अखंड संकल्पका उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए परमार्थ क्षेत्र में संकल्प लेकर चलना परम आवश्यक है।
1) ‘अखंड देवदर्शन’ ka kya meaning hai, please ?
2) Niyam ki mahima ke wajah se भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय dekh pate the? Ise clarify karenge, please ?
1) अखंड यानी बिना गैप देवदर्शन का नियम।
2) नियम को बहुमान देने को।
Okay.