अखंड संकल्प

भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय देखते थे, हम सूरज की ओर नज़र भी नहीं उठा सकते।
कारण ?
उनके अखंड देवदर्शन का नियम था। ६ खंडों की विजय यात्रा में भी अपने साथ जिन प्रतिमा लेकर गये थे।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

3 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने अखंड संकल्पका उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए परमार्थ क्षेत्र में संकल्प लेकर चलना परम आवश्यक है।

  2. 1) ‘अखंड देवदर्शन’ ka kya meaning hai, please ?
    2) Niyam ki mahima ke wajah se भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय dekh pate the? Ise clarify karenge, please ?

    1. 1) अखंड यानी बिना गैप देवदर्शन का नियम।
      2) नियम को बहुमान देने को।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

June 18, 2024

June 2024
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930