अजीव + काया

अजीव कायवान 4 द्रव्य (धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल) बताये। लेकिन पहले 3 को कायवान उपचार से कहा क्योंकि वे बहुप्रदेशी हैं। सही में काया तो पुद्गल की ही होती है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र 5/3)

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4 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने अजीव+काया को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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