पाँचों अणुव्रत धारण करने से भी अप्रत्याख्यानावरण का अनुदय नहीं होगा, वह तो 12 शीलव्रत पालने पर ही होगा ।
(हाँ ! अणुव्रतों से पाप का आश्रव कम/सीमित हो जायेगा/पुण्य बढ़ जायेगा)
मुनि श्री सुधासागर जी
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अणुव्रत का मतलब हिंसा झूठ, चोरी,कुशील और परिग़ह,इन पांच पांचों का स्थूल रूप से त्याग करना कहलाता है। शील का मतलब अहिंसा आदि व़तों की रक्षा के लिए क़ोधदि,कषाय का त्याग करना होता है। अतः व़त और शील दोनों को निर्दोष पालन करना शील व़त है। उपरोक्त कथन सत्य है कि पांचों अणुव्रत धारण करने से भी अप़त्याख्यानावरण का अनुदय नहीं होगा, अतः जो वह तो 12 शीलव़त पालने पर ही होगा। अतः अणुव्रतों से पाप का आश्रय कम और सीमित हो जायेगा, इससे पुण्य बढ़ सकता है।
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अणुव्रत का मतलब हिंसा झूठ, चोरी,कुशील और परिग़ह,इन पांच पांचों का स्थूल रूप से त्याग करना कहलाता है। शील का मतलब अहिंसा आदि व़तों की रक्षा के लिए क़ोधदि,कषाय का त्याग करना होता है। अतः व़त और शील दोनों को निर्दोष पालन करना शील व़त है। उपरोक्त कथन सत्य है कि पांचों अणुव्रत धारण करने से भी अप़त्याख्यानावरण का अनुदय नहीं होगा, अतः जो वह तो 12 शीलव़त पालने पर ही होगा। अतः अणुव्रतों से पाप का आश्रय कम और सीमित हो जायेगा, इससे पुण्य बढ़ सकता है।