अतिचार / भावनाऐं

अतिचारों से बचाव व्रतों को निर्दोष बनाते हैं,
भावनाऐं उन्हें द्रढ़ करतीं हैं।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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6 Responses

  1. अतिचार का तात्पर्य ग़हण किये व़तो में शिथिलता आना व दोष लगने को कहते हैं।जैन धर्म में भावनाओ का महत्वपूर्ण स्थान है।अतः व़तो को अतिचार निर्दोष बनाते हैं लेकिन भावनाऐ उन्हे दृढ़ करती है।

    1. व्रतों को (entry corrected) ।
      जैसे तेरी पैनी/sincere द्रष्टि हर entry को निर्दोष बना देते हैं ।

    1. जो एक बार गिरकर उठ जाता है यानि पश्चाताप/प्रायश्चित करके प्रत्याख्यान कर लेता है, वह फिर कभी उस गड्डे में नहीं गिरता।
      ऐसे गिरने की सम्भावनायें समाप्त होती चली जाती हैं/ नियम निर्दोष होने लगते हैं।

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