अतिचारों से बचाव व्रतों को निर्दोष बनाते हैं,
भावनाऐं उन्हें द्रढ़ करतीं हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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6 Responses
अतिचार का तात्पर्य ग़हण किये व़तो में शिथिलता आना व दोष लगने को कहते हैं।जैन धर्म में भावनाओ का महत्वपूर्ण स्थान है।अतः व़तो को अतिचार निर्दोष बनाते हैं लेकिन भावनाऐ उन्हे दृढ़ करती है।
जो एक बार गिरकर उठ जाता है यानि पश्चाताप/प्रायश्चित करके प्रत्याख्यान कर लेता है, वह फिर कभी उस गड्डे में नहीं गिरता।
ऐसे गिरने की सम्भावनायें समाप्त होती चली जाती हैं/ नियम निर्दोष होने लगते हैं।
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अतिचार का तात्पर्य ग़हण किये व़तो में शिथिलता आना व दोष लगने को कहते हैं।जैन धर्म में भावनाओ का महत्वपूर्ण स्थान है।अतः व़तो को अतिचार निर्दोष बनाते हैं लेकिन भावनाऐ उन्हे दृढ़ करती है।
Vraton ke atichaar kisko nirdosh banate hain?
व्रतों को (entry corrected) ।
जैसे तेरी पैनी/sincere द्रष्टि हर entry को निर्दोष बना देते हैं ।
Thanks Uncle.Magar, kya atichaar se vraton main dosh nahin lagta?
जो एक बार गिरकर उठ जाता है यानि पश्चाताप/प्रायश्चित करके प्रत्याख्यान कर लेता है, वह फिर कभी उस गड्डे में नहीं गिरता।
ऐसे गिरने की सम्भावनायें समाप्त होती चली जाती हैं/ नियम निर्दोष होने लगते हैं।
Okay.