अतिथि

भ्रमर जैसा होना चाहिए ।
जोंक जैसा नहीं, ऐसी प्रवृत्ति तो त्याज्य है ।

Share this on...

One Response

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है कि, “अतिथि भ्रमर की तरह होना चाहिए, जो आपको आनंदित कर दे, न की जोंक सरीखा, जो आपको दुखी कर दे ।अतिथि वह है, जो बिना सूचित किये आ जावे एवम् जिसका आप, प्रसन्नता से, आनंद ले सकें ।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 11, 2017

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031