मुसीबत पड़ने पर भगवान/गुरु की शरण में जाते हो, या संसारी लोगों की ?
सकून में धर्म करने का मन होता है या विषय-भोग का ?
चिंतन
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One Response
आजकल, मुसीबत पड़ने पर ही मंदिर एवं गुरुओं के पास जाते हैं, सकून में मंदिर नहीं जाते हैं, भोग-विलास में लगे रहते हैं। अतः धर्मात्मा की पहचान तभी होगी, जब हम हर समय, चाहे सुख हो या दुःख हो, मंदिर एवं गुरुओं के पास जाएँ ।
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आजकल, मुसीबत पड़ने पर ही मंदिर एवं गुरुओं के पास जाते हैं, सकून में मंदिर नहीं जाते हैं, भोग-विलास में लगे रहते हैं। अतः धर्मात्मा की पहचान तभी होगी, जब हम हर समय, चाहे सुख हो या दुःख हो, मंदिर एवं गुरुओं के पास जाएँ ।